Kali paltan Temple of Meerut Cantt

 भारत का काली पलटन मन्दिर


कालीपलटनमन्दिर
भारत का काली पलटन मन्दिर

प्रारंभिक विवरण

काली पलटन मन्दिर औघड्नाथ मन्दिर  के नाम से भी विख्यात है काली पलटन मन्दिर का भारतीय इतिहास मे अपना अलग ही महत्व है यह मन्दिर उत्तर प्रदेश के मेरठ कैंट मे स्थित अति प्राचीन शिव मन्दिर है.

काली पलटन मन्दिर क्यों कहते है ?

जब हमारा देश भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था तब अंग्रेज अधिकारी भारतीय सिपाहियों को "काली पलटन" ब्लैक आर्मी के नाम से बुलाते थे क्योकि भारतीय सिपाही व अन्य इस जगह शिवलिंग की पूजा के लिए आते थे इसके साथ ही वे मन्दिर के कुए के पानी से प्यास भी भुझाते थे,यहाँ ,जहा आज मन्दिर है अक्सर अपने विचारो,सुझावों और रहस्यों का आदान प्रदान करने के लिए मिलते थे क्योकि अंग्रेजी शासन के समय यह सुरक्षित स्थान माना जाता था इस लिए यह मन्दिर काली पलटन के नाम से अधिक प्रसिद्ध है

काली पलटन मन्दिर का एतिहासिक महत्व

जब हमारा देश भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था तब अंग्रेज अधिकारी भारतीय सिपाहियों को "काली पलटन" ब्लैक आर्मी के नाम से बुलाते थे वर्ष १८५७ से पहले भारतीय सिपाही, स्वयं सेवक, अंग्रेजी शासन कल के विद्रोही व देश की स्वतन्त्रता के संघर्षरत लोग काली पलटन मदिर मे आकर गुप्त विचारो,जानकारी आदि का आदान प्रदान एक दुसरे के साथ करते थे.भारतीय सिपाही व अन्य लोग अक्सर यहाँ पूजा करने और मन्दिर  के पानी के उपयोग के लिए आते थे इसी समय, अंग्रेजो ने गाय और सूअर के मॉस से बनी बन्दुक की गोंलिया भारतीय सिपाहियों को उपयोग के लिए प्रदान की जिन्हे दांतों से खोलना पड़ता था लेकिन भारतीय सिपाहियों ने इन गोलियों का कड़ा विरोध किया क्योकि गाय हिन्दुओ के पवित्र व पूजनीये है और सूअर मुस्लिम भारतीय सिपाहियों के विरोध का प्रमुख कारण बना इसी फलस्वरूप अन्य घटनाओ के साथ,सिपाहियों का कड़ा विरोध १० मई १८५७ के अंग्रेजी शासन के विरुद्ध "गदर" भारतीय इतिहस मे "प्रथम स्वतंत्रता संग्राम" के नाम से जाना जाता है इसके अलावा, यह भी कहा जाता है की अमर शहीद मंगल पाण्डेय ने वर्ष १८५७ मे अंग्रेजो के
खिलाफ आन्दोलन काली पलटन मन्दिर से ही शुरू किया था

दर्शनीय स्थल काली पलटन मन्दिर मेरठ के

शिव पार्वती मन्दिर

स्वतःनिर्मित शिवलिंग (अति प्राचीन )

राधे कृष्ण मन्दिर

शेरावाली माता मन्दिर

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम वर्ष १८५७ का उद्गम स्थल

शहीद स्मारक १८५७ के शहीदों की याद मे

महात्मा गाँधी जी के तीन बंदर

विशाल सत्संग भवन

कृष्ण कन्हैया गाय के साथ

नंदी 

अध्यात्मिक शांत वातावरण

सुन्दर वास्तुकला मन्दिर परिसर व प्रागढ़ मे 

इच्छा पूरी करने वाला मन्दिर

भारतीय सभ्यता संस्कृति को सहेजता मन्दिर

 

 










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